Idgah | ईदगाह
लेखक - प्रेमचंद
Ø समानार्थी शब्द :-
·
ईदगाह - ईद की नमाज़ पढ़ने की जगह ।
·
सानी - चारे की सामग्री जो पानी में सानकर पशुओं
को खिलाई जाती है ।
·
मनोहर - सुंदर
·
सुहावना -
रमणीय
·
प्रभात - प्रात:काल, सुबह, सवेरा
·
कुबेर - धन का देवता
·
कोस - दो किलोमीटर से कुछ अधिक की दूरी।
·
अनगिनत -
जिसे गिना न जा सके, बहुत अधिक
·
सूरत - चेहरा
·
हैजा -કોલેરા
·
निगोड़ी - दुष्ट
·
मन - 20 किलो, મણ
·
बिसात - औकात, हैसियत
·
सिजदा - एक विशेष मुद्रा में झुकना
·
लड़ी - माला, क्रम
·
कोष - खजाना
·
कतार -
पंक्ति, હરોળ
·
·
मशक -
चमड़े का थैला, जिसमें पानी भरकर भिश्ती ले जाता है ।
·
पृथक -
अलग
·
चटोरी -
खाने की लालची
·
सबील -
प्याऊ, शरबत पीने की जगह
·
दुआ -
आशीर्वाद
·
घुड़की -
डाँट
·
संगी -
साथी
·
चोला -
शरीर
·
सुरलोक - स्वर्ग
·
मातम -
शोक
·
अस्थियाँ - हड्डियाँ
·
घूरा -
कूड़े-करकट का ढेर, ઉકરડો
·
बेसमझ -
मूर्ख
·
जब्त -
संयम, धीरज, धैर्य
·
दामन -
आँचल
Øविरोधी (विलोम) शब्द :-
·
शीतल X उष्ण
·
संभव X असंभव
·
प्रसन्न X अप्रसन्न,
खिन्न
·
गरीब X अमीर
·
अंधकार X प्रकाश
·
नराशा X आशा
·
भीतर X बाहर
·
संयुक्त X पृथक,
भिन्न, अलग
·
दुआ X बद्दुआ
·
बहादूर X डरपोक
·
बेसमझ X समझदार
·
अपराधी X निरपराधी
· क्रोध X स्नेह
Ø मुहावरों का अर्थ देकर वाक्य प्रयोग कीजिए :
(1)
दिल
कचोटना = कुछ न पाने पर दु:ख होना
वाक्य
प्रयोग : मयुर को दिवाली पर पटाखे न ले
देने पर पिताजी का दिल कचोट ने लगा ।
(2)
बेड़ा
पार लगाना = किनारे ले जाना, संकट से
बचाना
वा.
प्र : भयंकर
अकस्मात में मोहन को बहुत चोट लगी है, अब तो भगवान ही बेड़ा पार लगाए ।
(3)
गले
मिलना = प्रेम से भेंटना
वा.
प्र : ईद के दिन सब एक-दूसरें के
गले मिलते हैं ।
(4)
दिल
बैठ जाना = हताश या निराश होना
वा.
प्र : सावन महिना शुरु होने के बाद
भी बारीश न आने पर किसानो के दिल बैठ गए ।
(5)
बाल
बाँका न होना = जरा भी नुकसान न होना
वा.प्र
: तीसरे माले से गीरने पर भी कमल
का बाल भी बाँका न हुआ ।
(6)
सुरलोक
सिधारना = मर जाना
वा.
प्र : एक फटका मारने पर बुच्छु को
सुरलोक सिधार गया ।
(7)
छाती
पीट लेना = दु:ख प्रकट करना
वा.
प्र : जेब कट जाने पर विकास ने छाती
पीट ली ।
Ø निम्नलिखित परिच्छेद का अनुलेखन कर के मातृभाषा मे अनुवाद कीजिए :
रमजान के पूरे तीस
रोजों के बाद आज ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है
। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, मानो संसार को ईद की बधाई
दे रहा है, गाँव में कितनी हलचल है ! ईदगाह जाने की तैयारियाँ
हो रही हैं । किसी के कुर्ते में बटन नहीं है, पड़ोस के घर में सूई-धागा लेने दौड़ा जा रहा है
। किसी के जूते कड़े हो गये हैं, उनमें तेल डालने के लिए तेली
के पास भागा जाता है । जल्दी-जल्दी बैलों को सानी-पानी दे दें । ईदगाह से लौटते–लौटते दोपहर हो जाएगी । तीन
कोस का पैदल रास्ता, फिर सैकड़ों आदमियों से मिलना-भेंटना । दोपहर के पहले लौटना
असंभव है । लड़के सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं । किसी ने एक रोजा रखा है, वह भी दोपहर तक, किसी ने वह भी नहीं, लेकिन ईदगाह जाने की खुशी
उनके हिस्से की चीज़ है । रोजे बड़े-बूढों के लिए होंगे। इनके
लिए तो ईद है ।
vअनुवाद :-
રમજાનના
પૂરા ત્રીસ રોજા પછી આજે ઈદ આવી છે. કેટલી મનોહર, કેટલી સુંદર સવાર છે. આજનો સૂર્ય
જુઓ, કેટલો પ્રેમાળ, કેટલો શીતળ છે, જાણે કે સંસારને ઈદના વધામણાં આપી રહ્યો છે,
ગામમાં કેટલી હિલચાલ છે ! ઈદગાહ જવાની તૈયારીઓ થઈ રહી છે. કોઈનાં કુર્તામાં બટન
નથી, પાડોશીના ઘરે સોઈ-દોરો લેવા દોડી જાય છે. કોઈના જોડા કડક થઈ ગયા છે, તેમા તેલ
નાંખવા માટે તેલી પાસે દોડી જાય છે. જલ્દી-જલ્દી બળદોને ઘાસ-ચારો દઈ દે. ઈદગાહથી
પાછા આવતા બપોર થઈ જશે. ત્રણ
કોસનો પગપાળા રસ્તો, વળિ સેંકડો આદમિયોંને મળવું-ભેટવું. બપોર પહેલા પાછા વળવું
અસંભવ છે. બોળકો સૌથી વધુ પ્રસન્ન છે. કોઈએ એક રોજો રાખ્યો છે, તે પણ બપોર સુધી,
કોઈકે તે પણ નહીં, પરંતુ ઈદગાહ જવાની ખુશી તેમના ભાગની વસ્તુ છે. રોજા વડીલ-વૃદ્ધો
માટે હશે. તેમના માટે તો ઈદ છે.
Ø निम्नलिखित
प्रश्नो के उत्तर एक-एक
वाक्य में लिखिए :
(1) रमजान के कितने रोजों के बाद ईद आती
है ?
उत्तर
: रमजान के तीस रोजों के बाद ईद आती
है ।
(2) गाँव में कहाँ जाने की तैयारीयाँ हो
रही है ?
उत्तर
: गाँव में ईदगाह जाने की तैयारीयाँ
हो रही है ।
(3) ईद के दिन कौन सबसे ज्यादा प्रसन्न
है ?
उत्तर
: ईद के दिन लड़के सबसे ज्यादा
प्रसन्न है ।
(4) महमूद के पास कितने पैसे हैं ?
उत्तर
: मोहसिन के पास बारह पैसे हैं ।
(5) मोहसिन के पास कितने पैसे हैं ?
उत्तर
: मोहसिन के पास पंद्रह पैसे हैं ।
(6) हामिद दिखने में कैसा लड़का था ?
उत्तर
: हामिद दिखने में गरीब सूरत,
दूपला-पतला लड़का था ।
(7) हामिद की दादी का नाम क्या था ?
उत्तर
: हामिद की दादी का नाम कअमीना था ।
(8) हामिद के पिताजी की मृत्यु कैसे हुई
थी ?
उत्तर
: हामिद के पिताजी की मृत्यु हैजे
से हुई थी ।
(9) हामिद के पास कितने पैसे थे ?
उत्तर
: हामिद के पास तीन पैसे थे ।
(10) खिलौने की दुकान पर कौन-कौन से खिलौने
थे ?
उत्तर
: खिलौने की दुकान पर सिपाही,
गुजरिया, राजा, वकील, भिश्ती, धोबिन आदि मिट्टी के खिलौने थे ।
(11) महमूद और मोहसिन कौन-सा खिलौना लेते
हैं ?
उत्तर
: महमूद सिपाही लेता है और मोहसिन
भिश्ती लेता है ।
(12) नूरे को किस खिलौने से प्रेम है ?
उत्तर
: नूरे को वकील से प्रेम है ।
(13) हामिद ने लोहे की दुकान से क्या खरीदा
?
उत्तर
: हामिद ने लोहे की दुकान से चिमटा
खरीदा ।
(14) हामिद ने चिमटा कितने पैसे में खरीदा ?
उत्तर
: हामिद ने चिमटा तीन पैसे में
खरीदा ।
(15) खंजरी किसने खरीदी थी ? कितने पैसो से?
उत्तर
: सम्मी ने खंजरी दो आने मे खरीदी
थी ।
(16) दादी अमीना ने अपनी छाती क्यों पीट ली
?
उत्तर
: दादी अमीना ने अपनी छाती पीट ली,
क्योंकि हामिद ने तीन पैसों से मेले में कुछ भी खाया-पीया नहीं और चिमटा खरीद कर
लाया था ।
-: अभ्यास :-
(1) हामिद ने चिमटा ही क्यों खरीदा ?
उत्तर
: हामिद की दादी अमीना के पास चिमटा नहीं
था । वे जब तवे से रोटियाँ उतारती थी तो हाथ जल जाते थे । अगर वह चिमटा ले जाकर
दादी को दे तो वे प्रसन्न हो जाएगी और फिर उनकी उँगलियाँ कभी न जलेगी । घर में एक
काम की चीज हो जाएगी । खिलौनों से थोड़ी देर ही खुशी मिलती है । यह सोचकर हामिद ने
चिमटा ही खरीदा ।
(2) चिमटा खरीदने के लिए हामिद कौन से कारण
बताता है ?
उत्तर
: चिमटा खरीदने के लिए हामिद कारण बताते
हुए कहता है कि चिमटे को कंधे पर रखा तो बंदूक हो गई, हाथ में ले लिया तो फकीरों
का चिमटा हो गया । इससे मंजीरे का काम भी
लिया जा सकता है । अगर वह एक चिमटा जमा दें तो सारे खिलौनों की जान निकल जाए ।
उसका चिमटा बहादूर शेर है । चिमटा आग में, पानी में, आँधी में, तूफान में बराबर
डटा रहेगा ।
(3) बूढ़ी अम्मा का क्रोध स्नेह में क्यों बदल
गया ?
उत्तर
: हामिद के चिमटा लाने पर बूढ़ी अम्मा को
दु:ख हुआ कि कैसा बेसमझ लड़का है, मेले में कुछ खाया-पिया नहीं और चिमटा लेकर आया
। अमीना जब इस बात को लेकर हामिद को डाँटने लगी, तो हामिद ने कहा कि तुम्हारी
उँगलियाँ तवे से जल जाती थीं, इसलिए मैं चिमटा लाया । हामिद का त्याग, सद्भाव और
विवेक देखकर बूढ़ि अम्मा का क्रोध स्नेह में बदल गया ।
(4) अब आप चिमटे के प्रयोग की तरह रुमाल के
विविध प्रयोग बताइए ।
उत्तर
: रुमाल से हम मुँह, हाथ पोंछ सकते हैं ।
रुमाल से पसीना भी पोंछ सकते हैं । धुएँ से बचने के लिए उसे मुँह पर बाँध सकते हैं
। धूप से बचने के लिए उसे सिर पर बाँध सकते हैं । उसमें बाजार से सब्जी बाँधकर लाई
जा सकती है । बुखार आने पर उसको नमक में भीगाकर सिर पर रखा जा सकता है और अंत में
उसका पौछा भी बनाया जा सकता है ।
प्रश्न
: 2 इस कहानी का शीर्षक 'ईदगाह' ही क्यों
रखा गया? इसके अलावा आप कौन-सा शीर्षक देना चाहेंगे? क्यों?
उत्तर
: ईद के दिन गाँव के लोग ईदगाह जाने की
तैयारी कर रहै हैं । गाँव के सभी लोगो को ईदगाह जाने की बड़ी जल्दी हैं । बच्चो
में ईदगाह जाने की इतनी जल्दी है कि वे सोचते हैं किलोग ईदगाह जाने के लिए देर
क्यों कर रहे हैं । ईदगाह में लोगो की एकता और धर्म के प्रति श्रद्धा और भ्रातृत्व
देखने को मिलता हैं । सबसे ज्यादा आकर्षण
ईदगाह के मेले का है । बच्चे को वहाँ
बहुत आनंद मिलता है । हामिद के चरित्र की विशेषता भी हमें वहीं जाननेको
मिलती है । इस प्रकार कहानी के केन्द्र में ईदगाह और उसका मेला ही है । इसलिए इस
कहानी का 'ईदगाह'
शीर्षक रखा गया है ।
'ईदगाह' के अलावा में इस कहानी को 'हामिद', 'हामिद का मातृप्रेम', 'हामिद – अमीना और चिमटा' आदि शीर्षक देना चाहूँगा ।
प्रश्न
: 3 निम्नलिखित परीच्छेद को पढ़कर नीचे दिए
गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
हमारे इतिहास और पुराणों
में परोपकार के अनेक उदाहरण मिलते हैं । दधीचि ने मानव कल्याण तथा असुरों के संहार
के लिए अपना शरीर त्याग दिया । राजा शिबि ने पंडूक के प्राण की रक्षा के लिए अंग दान
किए । महर्षि दयानंद ने विष मिलाकर प्राण लेनेवाले अपने रसोइए जगन्नाथ के प्राणों की
रक्षा धन देकर की । वर्तमान में भी अनेक सामाजिक संस्थाएँ परोपकार के लिए अपना धन और
समय भारतीय समाज को दे रही हैं । भारतीय समाज में युगों से परोपकार की सुरसरि प्रवाहित
होती आई है । यहाँ ऋर्ष-मुनियों ने यही सीख दी है
कि, निराश्रितों को आसरा दो ।
दीन-दुखियों और वृद्धों की शारीरिक
और आर्थिक मदद करो । भूखों को भोजन करवाओ । विद्वान हो तो विद्या का प्रचार कर समाज
का उद्धार करो । यहाँ सदा सबकी भलाई में ही अपनी भलाई मानी जाती रही है । संसार के
सभी धर्मों का मूल परोपकार है । किसी भी संत-महात्मा ने इसके बिना मनुष्य
जीवन को सार्थक नहीं माना । लोग परोपकार के लिए ही औषधालय, गौशालाएँ और धर्मशालाएँ बनवाते
हैं । सभी अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार परोपकार करते रहें तो समाज एवं देश की
उन्नति होती रहेगी तथा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना फैलेगी ।
प्रश्न :
(1) ऐतिहासिक ग्रंथों में परोपकार के कौन-कौन से उदाहरण लमिते हैं?
उत्तर : ऐतिहासिक ग्रंथों में परोपकार के कई उदाहरण मिलते
हैं। दधीचि ने मानव कल्याण तथा असुरों के संहार के लिए अपना शरीर त्याग दिया । राजा
शिबि ने पंडूक के प्राण की रक्षा के लिए अंग दान किए । महर्षि दयानंद ने विष मिलाकर
प्राण लेनेवाले अपने रसोइए जगन्नाथ के प्राणों की रक्षा धन देकर की ।
(2)
ऋषि-मुनियों
ने हमें क्या सीख दी है?
उत्तर:
ऋषि-मुनियों
ने हमें सीख दी है कि निराश्रितों को आसरा दो । दीन-दुखियों
और वृद्धों की शारीरिक और आर्थिक मदद करो । भूखों
को भोजन करवाओ । विद्वान
हो तो विद्या का प्रचार कर समाज का उद्धार करो । सबकी
भलाई में ही अपनी भलाई है ।
(3)
देश एवं समाज की उन्नति किस प्रकार होगी?
उत्तर: सभी अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार परोपकार
करते रहें तो समाज एवं देश की उन्नति होगी ।
(4)
विलोम शब्द लिखिए: आश्रित, अवनति
उत्तर: आश्रित ×
निराश्रित,
अवनति ×
उन्नति
(5)
परिच्छेद के आधार पर अपने साथियों से पूछने के
लिए तीन प्रश्न बनाइए ।
उत्तर:
(1) परोपकार करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
(2)
क्या हमे ऋषि-मुनियों
की सीख माननी चाहिए?
(3)
सभी धर्म हमे क्या संदेश देते है?
(6)
इस परिच्छेद को उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर: “परोपकार की महिमा”
प्रश्न : 4 तुम भी हामिद की तरह किसी न किसी मेले में गए होंगे, वहाँ तुमने
क्या-क्या खरीदा और क्यों ?
उत्तर: दिपावली की छुट्टीयों के
आखिर में हमारे धोलका तहसील के वौठा गाँव में बड़ा मेला लगता है । इस गाँव में
साबरमती नदी में सात नदियों का संगम होता है,
इसलिए कार्तिक महिने की एकादशी से लेकर पूर्णिमां तक मेला लगता है ।
पिछली बार मैं अपने मित्रों के साथ इस मेले में
गया था । यह मेला गुजरात का सब से बड़ा मेला है । यहाँ तरह- तरह की दुकाने लगी थी,
जैसे कि मिठाईयों की दुकाने, खिलौनो की दुकाने, कपडों- बर्तनो की दुकाने,
हिंडौला, झुला, चकरी, सर्कस आदि कई दुकाने
थीं । मेरे पास पैसे कम थे । इसलिए मैं मेले में से कुछ काम की चीज लेना चाहता था
। मैं और मेरे दोस्त पुरा मेला घुमें, पर मुझे कोई काम की चीज़ नज़र नहीं आई ।
आखिर हम मेले से बाहर नीकलने ही वाले थे, लेकिन आखरी कतार में कपडों तथा गरम चटाई,
रजाई तथा स्वेटरों की दुकाने थी । घुमते- घुमते मुझे एक स्वेटर पसंद आया । मुझे
याद आया कि पिताजी के पास पुराना स्वेटर था, जो ठंडी के दिनों में सिर्फ नाम का था
। मै वह स्वैटर खरीदना चाहता था । इसलिए मैने दुकानदास से भाव पूछा । उसने पाँचसो
रुपये कहा, लेकिन मेरे पास सिर्फ दो-सौ रुपये थे । मैने दुकानदार से ठीक-ठीक भाव
लगाने के लिए कहा । उसने थोड़ी बहस करने के बाद कहा कि तीन सौ रुपयों से एक रुपया
कम नहीं लूंगा । मैने भी हिम्मत करके कहा कि दो- सौ रुपए में देना है तो बोलो और
मैं आगे चलने लगा । थोड़ा आगे जाने पर दुकानदार ने मुझे बुलाकर वह स्वैटर दे दिया
।
मै खुशी के मारे झुम रहा था । मेरे पिताजी भी
बहुत खुश हुए और उन्होने दुसरे दिन मुझे फिर से दौ- सो रुपयें दिए और कहा कि जाओ
मेले में घुमकर आऔ । लेकिन इसबार तुम अपने लिए पैसे खर्च करना । मिठाईयाँ खाना,
चकरी में बैठना, सर्कस देखना और खूब मज़े करना ।
प्रश्न : 5 अगर तुम्हें मेले में से अपनी दादी के लिए कुछ
खरीदना हो तो तुम क्या खरीदोगे और क्यों ?
उत्तर: अगर मुझे मेले में से अपनी दादा के लिए कुछ खरीदना है तो में एक आराम कुर्शी खरीदूँगा, जिस में मेरी दादा बैठे- बैठे आराम से सो सके । वह कहीं भी बैठे-बैठे सो जाती है । आराम कुर्शी के ले जाने पर वह आराम से बैठ सकेगी और अगर नींद आ गई तो वह बड़े आराम से सो भी सकेगी । उनको आराम से सोता हुआ देखकर मुझे बहुत खुशी होगी ।
-: स्वाध्याय :-
प्रश्न
: 1 प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।
(1) रोजे के दिन मुसलमान क्या करते हैं ?
उत्तर
: रोजे के दिन मुसलमान सूर्योदय से
सूर्यास्त तक पुरा दिन कुछ खाते-पीते नहीं
है । यहाँ तक की अपना थूँक या लार को भी हलक के नीचे नहीं जाने देते । इतना कड़ा
उनका उपवास होता है ।
(2) रमजान ईद के दिन मुसलमान लोग कहाँ जाते हैं
?
उत्तर
: रमजान ईद के दिन मुसलमान लोग नमाज़ अदा
करने के लिए दरगाह पर जाते हैं ।
(3) दुकानों में कौन-कौन से खुलौने मिल रहे थे
?
उत्तर
: दुकानो में सिपाही, गुजरिया, राजा, वकील, भिश्ती, धोबिन आदि मिट्टी के
खिलौने मिल रहे थे ।
प्रश्न : 2 पेन्सिल में लिखित शब्दों के समानार्थी और विरोधी शब्द लिखिए :
शब्द |
शीतल |
प्रसन्न |
गरीब |
अंधकार |
स्नेह |
|
समानार्थी |
ठंड़ा |
खुश |
दीन |
अंधेरा |
प्रेम |
पुरातन |
विरोधी |
गरम |
दु:खी |
अमीर |
उजाला |
नफ़रत |
नयी |
प्रश्न
: 3 मुहावरों का अर्थ देकर वाक्य में
प्रयोग कीजिए :
(1) बेड़ा पार लगाना =
किनारे ले जाना, संकट से बचाना
वा.
प्र : भयंकर अकस्मात में मोहन को बहुत चोट
लगी है, अब तो भगवान ही बेड़ा पार लगाए ।
(2) बाल बाँका न होना = जरा भी नुकसान न होना
वा.प्र
: तीसरे माले से गीरने पर भी कमल का बाल
भी बाँका न हुआ ।
(3) छाती पीट लेना = दु:ख प्रकट करना
वा.
प्र : जेब कट जाने पर विकास ने छाती पीट
ली ।
(4) दिल चीरना =
बहुत दु:ख पहुँचाना
वा.
प्र : किरण ने चोरी करके अपने पिता का दिल
चीर दिया ।
प्रश्न
: 4 रुपरेखा के आधार पर कहानी पूर्ण कीजिए
:
एक नगर में दो स्त्रियाँ – एक ही बालक के लिए दावेदार – आपस में तकरार – मामला न्यायाधीश के समक्ष – दोनों की बातें सुनना – न्याय करना – बालक के दो टुकड़े करके बाँट
लो – एक स्त्री मौन – दूसरी का रोकर कहना – बच्चे को न काटो – उसे ही दे दो, न्यायाधीश का फैसला – रोती हुई स्त्री को बालक
सौंपना - शीर्षक ।
उत्तर :
ममता की जीत अथवा सच्ची माँ
पुराने ज़माने की बात है
। रतनपुर नाम का एक नगर था
। वहाँ यशोदा नाम की एक औरत अपने परीवार के साथ रहती थी । वो शांत स्वभाव की औरत थी
। और उसके पड़ोश में गादावरी नाम की एक औरत रहती थी । वह बहुत झगडालु और चालाक थी ।
यशोदा का एक बेटा था । एक बार यशोदा अपने बच्चे को घर में अकेला छोड़कर बाहर गई । मौका
पाकर गादावरी पालने में से बच्चे को उठाकर दुसरे गाँव चली गई ।
जब यशोगा वापस आई तो घर
में अपने बच्चे को न देखकर बहुत गभरा गई और
रोने लगी । उसे पता चल गया कि उसकी पड़ोशन गोदावरी उसके बच्चे को लेकर कहीं चली गई है
। कीसी तरह उसने गोदावरी का पता लगाया और उसके पास जाकर अपना बच्चा मांगने लगी । तब
उसने कहाँ “यह मेरा बेटा है। में न दुाँगी, जो चाहे वो कर ले ।” दोनो में खूब झगड़ा हुआ ।
तब लोगोने उन्हे न्यायलय में जाकर न्याय मांगने को कहा ।
आखिर दोनो स्त्रियाँ न्यायाधीश
के पास पहुँची । बच्चो पर दोनों का एक-सा दावा देखकर अपने सिपाही
को आदेश दिया , “इस बच्चे को दो बराबर हिस्सो
में काट दो।”
न्यायाधीश
का फैसला सुनकर गोदावरी चुप रह गई, पर यशोदा रोते हुए केहने लगी,
“न्यायाधीशजी,
आप बच्चे को काटो मत । चाहे तो उसे ही सोंप दीजिए। इस तरह मेरा बेटा जीवीत तो रहेगा
।”
न्यायाधीश फौरन समझ गया कि
दोनों स्त्रीयों में सच्ची माँ कोन हैं । न्यायाधीश ने यशोदा को उसका बच्चा सौंप दिया
और गोदावरी को जेल में बन्द करने का हुक्म दिया ।
सीख : सत्य की ही विजय होती है ।
प्रश्न : 5 निम्नलिखित अपूर्ण कहीनी को अपने शब्दों में
पूर्ण कीजिए :
मौसम में ठंडक बढ़ने लगी
थी । माँ सोचने लगी कि इस साल ढेर सारे स्वेटर बनाकर बेचने हैं, जिससे अंकित की दसवीं
कक्षा की फीस और पढ़ाई का खर्चा निकाला जा सके । अंकित के पापा नहीं थे । एक बड़ी
बहन थी । अंकित अपने घर में समृद्धि लाने के लिए प्रतिदिन सोचता रहता है ।
अंकित घर की गरीबी
मिटाने में अभी सक्षम नहीं था, लेकिन अपनी पढ़ाई का खर्चा वह खुद निकालना चाहता था
। उसने स्कूल के बाद कपड़ों की दुकान में काम करने का सोचा । वह पढ़ाई करते करते
नौकरी करने लगा । ऐसे कुछ साल बित गए । नौकरी करते करते उसने कपड़ों की दुकान का
सारा काम सीख लिया और पैसे भी बचाने लगा ।
एक बार उसे विचार आया कि
अगर मैं कपड़ों की दुकान का सारा काम संभाल कसता हूँ और अच्छे से दुकान चला सकता
हूँ, तो मुझे अपनी दुकान खोलनी चाहिए । उसने अपने शेठजी से बात की । शेठजी उसकी
बात से सहमत हुए और पास के शहर में दुकान खोलने में उसकी मदद की ।
अंकित की दुकार
धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी । व्यापार और मुनाफा बढ़ने लगा । थोड़े ही सालो में अंकित
कपड़ों का बड़ा व्यापारी बन गया ।
अंकित की माँ को आज
अंकित पर गर्व था । अंकित ने अपनी मेहनत और लगन से अपने परिवार की गरीबी को मिटा
दिया था ।
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